इंडिया बनाम भारत के रूप बढ़ती खाई और अमेरिकी साम्राज्यवाद की नई गुलामी को खत्म करने के लिए तीसरा स्वाधीनता आंदोलन शुरू हो चुका है। उद्देश्य है- हर हाथ को काम, हर व्यक्ति को सम्मान और विकसित भारत का निर्माण।
ध्यान से देखिए, हर कहीं धधक रही है मुक्ति की कामना। क्रांति की इन चिनगारियों को जिस बैनर तले एकत्र किया जा रहा है वो है तीसरा स्वाधीनता आंदोलन। इस आंदोलन का मुख्यालय दिल्ली में है। इस आंदोलन के राष्ट्रीय परमुख शहीद भगत सिंह के भांजे जगमोहन सिह हैं।,
इस आंदोलन के बारे में आप अगर ज्यादा जानना-समझना चाहते हैं या किसी तरह का योगदान देना चाहते हैं तो gopalrai1975@rediffmail.com पर मेल कर सकते हैं या सीधे आंदोलन के राष्ट्रीय संगठक गोपाल राय से उनके मोबाइल 09871215875 पर बात कर सकते हैं।
याद रखिए, इस आजादी की लड़ाई में आपकी जरूरत है। तय सिर्फ यह करना है कि आपकी भूमिका क्या होगी। इंतजार रहेगा, आपके सुझाव का, आपके सहयोग का।
बहुत दिनों बाद वापिस आया हूँ, क्षमा चाहूँगा। आपका मेल देख के बहुत खुशी हुई की आपने मुझे सीरियसली लिया, पर आज भी "आप" और "आपका" स्वाधीनता संग्राम वहीँ का वहीँ फंसा हुआ है। झंडा फेह्राने से लेकर बहस करने तक। मैं नहीं जानता की इस बहस के सफल होने से किसको खुशी मिलेगी, मरे हुए इंसानों को, या उनके परिवारों को(मैं नहीं जानता कैसे झंडा फेह्राने से उनको खुशी मिल सकती है) या फिर आपके अंहकार को आजकल मैं बंगलोर में रहता हूँ , यहाँ देखता हूँ की बड़ी बड़ी इमारते हैं, पर लोग आज भी गरीब हैं। उनको झंडा फेह्राने से कैसे खुशी मिलेगी, पता नहीं। गांधी जी ने कहा था की कोई काम करने से पहले सोचो की कैसे उससे उस गरीब को फरक पड़ता है, जो आपने कभी देखा हो। अगर ज्यादा कह गया तो क्षमा चौंगा, पर अगर आप ठीक कर रहे हैं तो राज ठाकरे भी ग़लत नहीं है। जय हिंद, जय भारत।
trun bhai aaj agar raj thakre ke nafrat failane ke abhiyan oar teesra swkdhinta andolan dwara rastriy ekta ttha schchi deshbakti ki chetna paida krne ke liye india gate ki bjay sajhi shhadat-shajhi birasat ke prateek deshbhkt shheedon ko rastriy smark ko apna aadrsh bnane ki muhim me antar smajh nhi aa rha to esme aap ka dosh nhi hai. halat hi aisa bnaya ja rha hai ki kuch smajh me n aaye. yah muhim ahankar pura krne ke liye nhi hai oar n hi fsa huaa hai. samajh boojh krke hi chlaya ja rha hai.sbako roti,sbako samman hasil krne ke sbse phala hme ek hona hoga oar eski prenna ke liye hme mjbooti se hme apne shheedon v unke aadrson ko samne lana hoga.jiski yah suruvat hai.
4 comments:
hamare yaha bahas adhik hoti hai, kaam kam
narayan narayan
teesra swadhinta andolan kam ke sath bahas krta hai taki josh ks sath hosh bna rhe.
बहुत दिनों बाद वापिस आया हूँ, क्षमा चाहूँगा। आपका मेल देख के बहुत खुशी हुई की आपने मुझे सीरियसली लिया, पर आज भी "आप" और "आपका" स्वाधीनता संग्राम वहीँ का वहीँ फंसा हुआ है। झंडा फेह्राने से लेकर बहस करने तक। मैं नहीं जानता की इस बहस के सफल होने से किसको खुशी मिलेगी, मरे हुए इंसानों को, या उनके परिवारों को(मैं नहीं जानता कैसे झंडा फेह्राने से उनको खुशी मिल सकती है) या फिर आपके अंहकार को आजकल मैं बंगलोर में रहता हूँ , यहाँ देखता हूँ की बड़ी बड़ी इमारते हैं, पर लोग आज भी गरीब हैं। उनको झंडा फेह्राने से कैसे खुशी मिलेगी, पता नहीं। गांधी जी ने कहा था की कोई काम करने से पहले सोचो की कैसे उससे उस गरीब को फरक पड़ता है, जो आपने कभी देखा हो। अगर ज्यादा कह गया तो क्षमा चौंगा, पर अगर आप ठीक कर रहे हैं तो राज ठाकरे भी ग़लत नहीं है।
जय हिंद, जय भारत।
trun bhai aaj agar raj thakre ke nafrat failane ke abhiyan oar teesra swkdhinta andolan dwara rastriy ekta ttha schchi deshbakti ki chetna paida krne ke liye india gate ki bjay sajhi shhadat-shajhi birasat ke prateek deshbhkt shheedon ko rastriy smark ko apna aadrsh bnane ki muhim me antar smajh nhi aa rha to esme aap ka dosh nhi hai. halat hi aisa bnaya ja rha hai ki kuch smajh me n aaye. yah muhim ahankar pura krne ke liye nhi hai oar n hi fsa huaa hai. samajh boojh krke hi chlaya ja rha hai.sbako roti,sbako samman hasil krne ke sbse phala hme ek hona hoga oar eski prenna ke liye hme mjbooti se hme apne shheedon v unke aadrson ko samne lana hoga.jiski yah suruvat hai.
Post a Comment